आज हर कोई नई सरकार बनाने की सोच रहा है। कोई Congress को तो कोई BJP (भारती जनता पार्टी) को चुनना चाहता है । आज Dollar($) ` 70 के पास घूम रहा है, पेट्रोल ` 80 के पास । हमारे देश के नेता मिलकर इसका हल खोजने के बजाये एक दुसरे पे आरोप लगा रहे है। कोई कहता है "मैं होता तो मैं दाम कम कर देता ", कोई "मैं होता तो महंगाई कम कर देता " मैं हु तो गरीबो की सुनने वाला है आदि - आदि ।
मैं आप सभी से आग्रह करूँगा , आप कोई एक नमूना दिखाए, हम आगले चुनाव में आप को ही वोट देंगे; हम तो T.V भी खरीदने से पहले उसको शॉप में चला के ही चेक करलेते है।, इत्र खरीदने से पहले उसको सूंघ कर देख लेते है तभी उसको खरीदते है।
लेकिन कोई भी ऐसा नहीं करेगा, या तो सब केवल आरोप- प्रत्यारोप लगा के अपनी राजनीति चमकाने में लगे है, या इनके पास कोई रास्ता नहीं है, अगर वास्तव में जिनको हमने देश चलने के लिए चुना है वो हमारे (जनता) के लिए सोचते है, तो कुछ कर के दिखाते ..….
यहाँ तो टांग खीचने के लिए मुद्दा चाहिए, एक ने कहा, तुमने तो अपने भासन में फलाने की नक़ल की तो दुसरे ने सारे काम छोड़ के अब ये सिद्ध करने लगा की ये तो मेरी ही है। एक ने कहा तुमने हमारी तुलना कुत्ते से की है, 15 दिन काम नहीं करेंगे न करने देंगे। इतना को विवेक, विचार सील तो है न आप लोगो में या, इन्ही कामो के लिए आप को चुना है देश ने ?
आप लोगो को संसद में लड़ता देख के मुझे अपने बचपन का स्कूल का क्लास रूम याद आता है, एक इधर से चिल्लाता है तो एक उधर से, लेकिन जब भी क्लासरूम में टीचर ने जोर से आवाज लगाई तो सब चुप हो जाते थे। लेकिन आप लोग तो अध्यक्ष से भी नहीं डरते। क्या आप लोग उन 6 -7 साल से बच्चो से भी ख़राब हो गए है।
आप नाराज न हो हम आप को T.V या इत्र से तुलना कर दी, गलत मतलब ना निकले इन बातो का, कुत्ते वाली बात फिर न दोहराए। हमारा तो कहना ये है की संसद में एक दुसरे पे आरोप लगाने से अच्छा है, देश की हालत सुधरने के बारे में मिल बैठ के सोचे, जैसी एकता आप लोगो ने सर्वोच्च न्यायलय के एक फैसले (अपराधी चुनाव नहीं लड़ पायेगा आदि - आदि) के खिलाफ दिखाई है
हमारी बात आप लोगो को ख़राब लगी हो तो मैं आप सभी 552 और 250 लोगो से माफी मांगता हु।
मैं आप सभी से आग्रह करूँगा , आप कोई एक नमूना दिखाए, हम आगले चुनाव में आप को ही वोट देंगे; हम तो T.V भी खरीदने से पहले उसको शॉप में चला के ही चेक करलेते है।, इत्र खरीदने से पहले उसको सूंघ कर देख लेते है तभी उसको खरीदते है।
लेकिन कोई भी ऐसा नहीं करेगा, या तो सब केवल आरोप- प्रत्यारोप लगा के अपनी राजनीति चमकाने में लगे है, या इनके पास कोई रास्ता नहीं है, अगर वास्तव में जिनको हमने देश चलने के लिए चुना है वो हमारे (जनता) के लिए सोचते है, तो कुछ कर के दिखाते ..….
यहाँ तो टांग खीचने के लिए मुद्दा चाहिए, एक ने कहा, तुमने तो अपने भासन में फलाने की नक़ल की तो दुसरे ने सारे काम छोड़ के अब ये सिद्ध करने लगा की ये तो मेरी ही है। एक ने कहा तुमने हमारी तुलना कुत्ते से की है, 15 दिन काम नहीं करेंगे न करने देंगे। इतना को विवेक, विचार सील तो है न आप लोगो में या, इन्ही कामो के लिए आप को चुना है देश ने ?
आप लोगो को संसद में लड़ता देख के मुझे अपने बचपन का स्कूल का क्लास रूम याद आता है, एक इधर से चिल्लाता है तो एक उधर से, लेकिन जब भी क्लासरूम में टीचर ने जोर से आवाज लगाई तो सब चुप हो जाते थे। लेकिन आप लोग तो अध्यक्ष से भी नहीं डरते। क्या आप लोग उन 6 -7 साल से बच्चो से भी ख़राब हो गए है।
आप नाराज न हो हम आप को T.V या इत्र से तुलना कर दी, गलत मतलब ना निकले इन बातो का, कुत्ते वाली बात फिर न दोहराए। हमारा तो कहना ये है की संसद में एक दुसरे पे आरोप लगाने से अच्छा है, देश की हालत सुधरने के बारे में मिल बैठ के सोचे, जैसी एकता आप लोगो ने सर्वोच्च न्यायलय के एक फैसले (अपराधी चुनाव नहीं लड़ पायेगा आदि - आदि) के खिलाफ दिखाई है
हमारी बात आप लोगो को ख़राब लगी हो तो मैं आप सभी 552 और 250 लोगो से माफी मांगता हु।